Tripursundari Ved Gurukulam - वास्तु शास्‍त्र

 

वास्तुशास्त्र

 

 

संस्कृत में कहा गया है कि... गृहस्थस्य क्रियास्सर्वान सिद्धयन्तिगृहंविना। वास्तुशास्त्र घर, प्रासाद, भवन अथवा मन्दिर निर्मान करनेका प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समयके विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरुप माना जा सकता है।जीवन में जिन वस्तुओं का हमारे दैनिक जीवनमें उपयोग होताहै उनवस्तुओं को किस प्रकारसे रखा जाए वह भी वास्तु है वस्तुशब्द से वास्तु का निर्माण हुआ है।

वास्तु शास्त्र (गृह वास्तु, उद्योग वास्तु)

वास्तु शास्त्र के विषय में जब भी कोई बात हमारे सामने आती है तो सबसे पहले विचार यही आता है कि आखिर किस तरीके से हम अपने घर व उद्योग (व्यापार) में वास्तु का सही प्रयोग कर लाभ उठा सकते हैं. तो आइये सबसे पहले इस संदर्भ में जानते है कि वास्तु शास्त्र है क्या ? और ये किस प्रकार हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है?

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन कला व विज्ञान है जिसके अंतर्गत किसी भी स्थान के उचित निर्माण से संबंधित वे सब नियम आते हैं जो मानव और प्रकृ्ति के बीच सामंजस्य बैठाते हैं जिससे हमारे चारों ओर खुशियाँ, संपन्नता , सौहार्द व स्वस्थ वातावरण का निर्माण होता है.

वास्तु शास्त्र की रचना पंचतत्व अर्थात धरती, आकाश , वायु , अग्नि, जल व आठ दिशाओं के अंतर्गत होती है.